(Vyakaran kise kahate hain ?) हिंदी व्याकरण क्या है?|| Hindi Vyakran kya hai? ||
vyakaran ki paribhasha ( व्याकरण की परिभाषा ) – Full information in Hindi
हिंदी पढ़ते समय व्याकरण का बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण होता है। बिना व्याकरण के हिंदी का कोई महत्व नहीं है।
जिस तरह से महिलाएं बिना साज-सज्जा के फिकी लगती है ठीक उसी तरीके से हिंदी व्याकरण (Hindi Vyakaran) के बिना हिंदी फीका लगता है।
भाषा जो हम आमतौर पर बोलते हैं। जैसे- हिंदी, अंग्रेजी, बंगाली, गुजराती इत्यादि।
हर भाषा का अपना एक व्याकरण होता है जिसके आधार पर उस भाषा की बोली निर्धारित होती है और हम उस भाषा को सही बोल रहे हैं या गलत वह निम्न भाषा के व्याकरण से ही पता लग जाता है। जैसे-
- जाता है राम। (गलत वाक्य)
- राम जाता है। (सही वाक्य)
ऊपर दिए के उदाहरण में जाता है राम Sentence का कोई Meaning नहीं है। लेकिन राम जाता है इस वाक्य का मतलब साफ़ पता चल रहा है।
आज हम आपको हिंदी व्याकरण की पूरी जानकारी देने वाले हैं कि Hindi Vyakaran kise kahate hain, Vyakaran ki Paribhasha
आइए Hindi Vyakaran विस्तार से जानते हैं।
अलंकार– हिंदी व्याकरण में अलंकार का बहुत ज्यादा महत्व है। एक नारी की सुंदरता की पहचान उसके गहनों से होती है। व्याकरण में यदि अलंकार ना हो तो आपको कभी भी व्याकरण समझ में नहीं आएगा।
अलंकार मुख्य रूप से दो भागों में बटा हुआ है। जैसे
- शब्दालंकार और
- अर्थालंकार
अलंकार के ही 2 भाग शब्दालंकार एवं अर्थ अलंकार के अलग-अलग भाग हैं।
1. शब्दालंकार- शब्दालंकार तीन तरह के होते है
- अनुप्रास अलंकार,
- यमक अलंकार एवं
- श्लेश अलंकार।
2. अर्थालंकार- अर्थालंकार के आठ मुख्य अलंकार है-
- उपमा अलंकार,
- रूपक अलंकार,
- उत्प्रेक्षा अलंकार,
- भ्रांतिमान अलंकार,
- संदेह अलंकार,
- अतिशयोक्ति अलंकार,
- विभावना अलंकार,
- मानवीकरण अलंकार।
रस– हिंदी व्याकरण में अलंकार के बाद दूसरा स्थान रस का आता है।
कहा जाता है कि हिंदी कविता में कविता की जान रस होता है। बिना रसके कविता का अर्थ कभी भी पता ही नहीं चलता है।
रस के चार मुख्य भाव है। जैसे-
- स्थाई भाव रस,
- विभाव रस,
- अनुभाव रस एवं
- संचारी भाव रस।
रस के संबंध में कहा जाता है कि आचार्य भरत मुनि एक ऐसे प्रथम नाट्यशास्त्र थे जिन्होंने अपने रचना काल में रस का पूरा विश्लेषण किया है। रस के संबंध में और जानकारी के लिए आप भरतमुनि का नाट्यशास्त्र पढ़ सकते हैं।
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संज्ञा– हिंदी व्याकरण में संज्ञा बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती है।
संज्ञा किसी व्यक्ति, वस्तु, स्थान अथवा नाम का जब किसी पंक्ति पर बोध होता है वहां पर संज्ञा होता है। जैसे- राम (व्यक्ति), दिल्ली (स्थान) आदि।
संज्ञा के पांच होते भेद है। जैसे-
- व्यक्तिवाचक संज्ञा,
- जातिवाचक संज्ञा
- भाववाचक संज्ञा
- समूहवाचक संज्ञा एवं
- द्रव्यवाचक संज्ञा
सर्वनाम– संज्ञा के बाद सर्वनाम आता है जो 2 शब्दों को जोड़कर बना है। जैसे- सर्व+नाम= सर्वनाम।
संज्ञा के स्थान पर सर्वनाम का प्रयोग होता है। बार-बार संज्ञा का प्रयोग करने से Sentence read करने पर एक
Irritation सा लगता है।
जैसे- रमा गाती है। रमा को खेलना भी बहुत पसंद है। रमा अपने माता-पिता की एक लौती संतान है।
उदाहरण में रमा जो की संज्ञा है बार बार प्रयोग किया गया है। यदि रामा के स्थान पर सर्वनाम का प्रयोग किया
जाए तो Sentence पढ़ने में अच्छा लगेगा।
जैसे- रमा गाती है।,उसको खेलना भी बहुत पसंद है, वहअपने माता-पिता की एक लौती संतान है।
सर्वनाम के कुल 6 भेद हैं। जैसे-
- पुरुषवाचक सर्वनाम,
- निश्चयवाचक सर्वनाम,
- अनिश्चयवाचक सर्वनाम,
- संबंधवाचक सर्वनाम,
- प्रश्नवाचक सर्वनाम और
- निजवाचक सर्वनाम।
अव्यय– ऐसे शब्दों को कहते हैं जिसमें लिंग वचन पुरुष कारक आदि के वजह से कोई बदलाव नहीं आता है उसे ही अव्यय कहते हैं।
अव्यय के कुल पांच भेद हैं। जैसे-
- क्रिया विशेषण,
- संबंध बोधक,
- समुच्चयबोधक
- विस्मयादिबोधक और
- निपात।
संधि-विच्छेद– जब वर्ण एक दूसरे के साथ मिलते जुलते रहते हैं और उनके मिलने के दौरान शब्दों में जो परिवर्तन होता है उन्हें संधि कहते हैं।
संधि 3 तरीके की होती है। जैसे-
- स्वर संधि,
- व्यंजन संधि और
- विसर्ग संधि।
पद परिचय – जब किसी वाक्य का निर्माण होता है वाक्य के निर्माण के दौरान जिन शब्दों का प्रयोग कियाजाता है उन्हें पद कहा जाता है।
वाक्य के निर्माण करते वक्त संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण, क्रिया विशेषण इत्यादि का भी प्रयोग किया जाता है।
हिंदी व्याकरण में पद परिचय करते वक्त यह बताना होता है कि पद में व्याकरण के अनुसार किन शब्दों का प्रयोग हुआ है। क्या शब्दों में संज्ञा का प्रयोग ज्यादा हुआ है या सर्वनाम का प्रयोग हुआ है यह पद परिचय के दौरान बताना होता है।
जैसे- वह सेब खाती है।, राम स्कूल जाता है।
दिए गए उदाहरण का पद परिचय हिंदी व्याकरण में बताना होता है कि वह संज्ञा के शब्द है, सर्वनाम के शब्द है या किसी और के शब्द हैं।
हिंदी वर्णमाला– हिंदी में कुल 10 स्वर होते हैं, 35 व्यंजन होते हैं और कुल मिलाकर 52 वर्ण होते हैं और चार संयुक्त व्यंजन होते हैं।
- अ से लेकर ऋ – 10 स्वर है।
- के से लेकर ज्ञ – 35 व्यंजन है।
- ष, त्र, ज्ञ और श्र – चार संयुक्त व्यंजन है।
स्वर के दो मुख्य भेद होते हैं। जैसे-
- हस्व स्वर और
- दीर्घ स्वर।
विलोम शब्द – किसी एक शब्द के विपरीत अर्थ को विलोम शब्द कहते हैं। जिसे अंग्रेजी में Opposite word(Antonyms) भी कहा जाता है। जैसे- दिन-रात, काला-सफेद, यश-अपयश आदि।
चिट्ठी लेखन– चिट्ठी लेखन को अंग्रेजी में Letter writing के नाम से जाना जाता है।
हिंदी व्याकरण में पत्र लेखन बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण है।
पत्र का प्रयोग आमतौर पर बहुत ज्यादा सारे कार्यालय कामों के लिए किया जाता है। यदि किसी को पत्र लिखने का तरीका नहीं पता होगा तो वह जरूरत के वक्त पत्र नहीं लिख पाएगा |
इसलिए पत्र लेखन सीखना बहुत जरूरी होता है विद्यार्थियों के लिए।
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हिंदी व्याकरण (Hindi Vyakaran) में शुरू शुरू में जब पत्र लेखन करवाया जाता है स्कूलों में तो सर्वप्रथम विद्यार्थियों को स्कूल के
प्रधानाचार्य को फीस माफी के लिए चिट्ठी लिखने के लिए कहा जाता है, फिर उन्हें किसी अखबार के संपादक को अपने एरिया के किसी समस्या के विषय में जानकारी देने के लिए पत्र लिखने को कहा जाता है,
फिर अधिकारी को ऐसे करके बच्चों में चिट्ठी लेखन के अभ्यास को डालकर उन्हें चिट्ठी लिखने में मजबूत बनाया जाता है।
तो दोस्तों ये थी आर्टिकल जिसमे Vyakaran kise kahate hain, vyakaran ki paribhasha के बारे में जाना ,
मुझे उम्मीद है कि अब आपको Hindi Vyakaran के बारे में बहुत कुछ जानने को मिला होगा ,
हमारे द्वारा दी हुई सभी जानकारी हिंदी व्याकरण से जुड़ी हुई है। आशा करते हैं कि आपको हमारा यह पोस्ट पसंद आया होगा और यदि आपको सच में पसंद आया है तो इसे लाइक, शेयर एवं कमेंट जरूर करें।
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Thank You Vishnu….