समास किसे कहते हैं || समास की परिभाषा || Full information in Hindi
Samas ki paribhasha – Samas in hindi
नमस्कार दोस्तों स्वागत है आप सभी का हमारे ब्लॉग पर। आज के हमारे ब्लॉक पर हम आपको हिंदी व्याकरण से जुड़े ही एक विषय पर आपको कुछ जानकारी देने वाले हैं।
हिंदी व्याकरण का आज का हमारा विषय समास है। इस ब्लॉग के अंत तक आपको यह जाने को मिलेगा किस समास क्या है समास के कितने भेद हैं समास की परिभाषा क्या है।
इसलिए इस ब्लॉग के अंत तक हमारे साथ बने रहे।
समास– दो या दो से ज्यादा शब्द जब मिलकर किसी नए शब्द को बनाते हैं उसे ही समास कहा जाता है।
जैसे- डर के बिना (दो या दो से अधिक शब्द) = निडर (समास)।
जहां शब्द को जितना छोटा या संक्षिप्त करते हैं वहां ही समास होता है।
समास के भेद- समाज के कुल 6 भेद हैं। जिनके नाम कुछ इस तरह से हैं-
- अव्ययीभाव समास
- तत्पुरुष समास
- द्वंद समास
- द्विगु समास
- बहुव्रीहि समास
- कर्मधारय समास
समास के 6 भेदों की पूरी जानकारी-
1. अव्ययीभाव समास– जिस समाज का पहला पद मुख्य होता है उसे ही अव्ययीभाव समास कहा जाता है।
अव्ययीभाव समास का जो वाक्य होता है वह क्रिया विशेषण का काम करता है।
जैसे- आमरण (मृत्यु तक)।
यहां आ शब्द अव्यय है।
आज शब्द किसी भी शब्द के पहले जुड़कर नए शब्द बना सकते हैं। जैसे- आजीवन, आजन्म आदि।
अव्ययीभाव समास के और उदाहरण कुछ इस तरह है-
- भरपेट- पेट भर कर
- यथाशक्ति- शक्ति के अनुसार।
2. तत्पुरुष समास– जिस समास में अंतिम पद मुख्य हो और उसका पहले का पद सही अर्थ से अलग हो उसे तत्पुरुष समास कहते हैं।
जैसे- तुलसीकृत- तुलसी द्वारा कृत।
विभक्ति नाम के अनुसार तत्पुरुष समास का कुल 6 भेद है। जैसे-
- कर्म तत्पुरुष समास- यहां को गायब हो जाता है। जैसे- स्वर्गप्राप्त- स्वर्ग को प्राप्त।
- करण तत्पुरुष समास- यहां करण कारक का जो निशान होता है, वह गायब हो जाता है। जैसे- मनचाहा- मन से चाहा।
- संप्रदान तत्पुरुष समास- यहां संप्रदाय कारक का निशान गायब हो जाता है। जैसे- रसोईघर- रसोई के लिए घर।
- अपादान तत्पुरुष समास-यहां अपादान कारक का निशान गायब हो जाता है। जैसे- ऋणमुक्त- ऋण से मुक्त।
- संबंध तत्पुरुष समास- यहां संबंध कारक का निशान गायब हो जाता है। जैसे- गंगाजल- गंगा का जल।
- अधिकरण तत्पुरुष समास- यहां अधिकरण कारक का निशान गायब हो जाता है। जैसे- आपबीती- आप पर बीती।
3. द्वंद समास– जिस समास में दोनों ही पद मुख्य होते हैं और जब दोनों पदों को अलग किया जाता है तो उनके बीच में और, अथवा, या, एवं जैसे शब्द लगते हैं। इसे ही द्वंद समास कहा जाता है।
जैसे- राजा-रंक- राजा और रंक।
द्वंद समास के और भी उदाहरण इस प्रकार हैं-
- सीता-राम- सीता और राम
- राधा- कृष्ण-राधा और कृष्ण।
4. द्विगु समास– जिस समास में संख्यावाचक पद होता है उसे द्विगु समास कहते हैं। जैसे- नवरत्न- नौ रत्नों का समूह।
5. बहुव्रीहि समास– जिस समास में दोनों ही पद मुख्य नहीं होते हैं और पूरे पद में अर्थ के अलावा भी कोई संकेत देने वाले अर्थ मुख्य होते हो वहां बहुव्रीहि समास होता है।
जैसे- दशानन- 10 है आनन (मुख) जिसके – जैसे- रावण।
बहुव्रीहि समास के और भी उदाहरण कुछ इस प्रकार हैं-
- चक्रपाणि- चक्र है पाणी (हाथ) में जैसे- भगवान विष्णु
- श्वेतांबर- श्वेत है जिसके अंबर (वस्त्र, कपड़े) जैसे-विद्या की देवी मां सरस्वती
6. कर्मधारय समास– जिस समास का अंतिम वाला पद मुख्य होता है और पहले के पद और अंत के पद में विशेषण-विशेष्य या उपमान उपमेय वाला संपर्क होता है। वहां कर्मधारय समास होता है।
जैसे- चंद्रमुख- चंद्र जैसा मुख।
कर्मधारय समास के अन्य उदाहरण कुछ इस प्रकार है-
- नील कमल- नीला कमल
- नरसिंह- जो नरों में सिंह के समान होता है।
हमने अभी जाना Samas ki paribhasha – Samas in hindi अब हम जानेंगे
इसे भी पढ़े – SDM बनने का पूरा प्रोसेस जानें – योग्यता, हाइट, एग्जाम , सैलरी सबकुछ
इसे भी पढ़े – पहली बार में फौज में भर्ती कैसे निकाले ?
इसे भी पढ़े – आसानी से Air Hostess kaise bane – कोर्स फीस, सैलरी, हाइट ?
इसे भी पढ़े – Film Actor Kaise bane ?
इसे भी पढ़े – Bank me job kaise paye ?
संधि और समास से अंतर-
संधि और समास में थोड़ा सा अंतर होता है।
हिंदी व्याकरण में बहुत सारे लोग समाज एवं संधि में धोखा खा जाते हैं। इसलिए हम आपको संधि और समास में भी होने वाले अंतर के विषय में बताएंगे।
संधि वर्णों में होता है। संधि में विभक्ति या शब्द गायब नहीं होते हैं। जैसे- देव+आलय- देवालय।
वहीं अगर बात समास की जाए तो समास आमतौर पर 2 पदों में होता है। जहां समास होता है वहां पर विभक्ति या शब्द गायब हो जाते हैं। जैसे- माता-पिता= माता और पिता।
कर्मधारय और बहुव्रीहि समास में अंतर-
कर्मधारय समास में पूरा पद एक दूसरे का विशेषण होता है। कर्मधारय समास में शब्दों का अर्थ मुख्य होता है। जैसे- नीलकंठ- नीला कंठ।
वहीं अगर बहुव्रीहि समास की बात करें। तो बहुव्रीहि समाज में पूरा पद पहले के पद एवं आखिरी के दोनों पदों में कोई विशेष संपर्क नहीं होता है
बहुव्रीहि समास में दोनों ही पद किसी और संकेत की ओर इशारा करते हैं।
बहुव्रीहि समास में शब्दों के अर्थ मुख्य अर्थ से अलग होते हैं एवं कुछ और ही अर्थ प्रस्तुत करते हैं और वही अर्थ बहुव्रीहि समास में मुख्य हो जाता है।
जैसे- नील+कंठ= नीला है कंठ जिसका अर्थात- शिव।
यह थे Samas ki paribhasha – Samas in hindi समास से जुड़े तमाम बातें जो आपको व्याकरण के दौरान याद रखना बहुत अधिक जरूरी है। यदि आपको हमारा ब्लॉग पसंद आया है तो इसे शेयर एवं कमेंट जरूर करें।
होम पेज पर जाएँ – यहाँ क्लिक करें
1 thought on “समास किसे कहते हैं | समास की परिभाषा | Samas in Hindi”