Alankar in Hindi –
आज कि इस आर्टिकल में हम जानेंगे Alankar kise kahate hain और Alankar ki paribhasha
Alankar in Hindi – अलंकार इन हिंदी
अलंकार से मतलब गहनों या आभूषण से है। रोजमर्रा की जिंदगी में जिस तरीके से अच्छे कपड़े पहने, सोना चांदी पहनकर औरतों के सुंदरता में बहुत बदलाव आता है उसी तरीके से भाषा
भाषा में यदि अलंकार ना हो कहने का तात्पर्य है यदि भाषा को सही ढंग से सजाया ना जाए तो उस भाषा का कोई अर्थ नहीं होता है।
अलंकार की परिभाषा या अलंकार किसे कहते हैं ?
अलंकार की परिभाषा या अलंकार किसे कहते हैं – भाषा में शाब्दिक तथा आर्थिक चमत्कार लाने का माध्यम ही अलंकार है।
अलंकार के भेद – Alankar in Hindi
मुख्य रूप से अलंकार के दो भेद होते हैं-
- शब्दालंकार
- अर्थालंकार
शब्दालंकार –
शब्दालंकार– जहां अलंकारों के कारण ही भाषा में शब्दों के द्वारा कोई चमत्कार होता है वहां शब्दालंकार होता है।
शब्दालंकार के कुल तीन भेद होते हैं-
- अनुप्रास अलंकार
- यमक अलंकार
- श्लेष अलंकार
अनुप्रास अलंकार –
अनुप्रास अलंकार- जहां पर भी एक से ज्यादा वर्ण बार-बार आ जाते हैं वहां अनुप्रास अलंकार होता है।
जैसे- चारु चंद्र की चंचल किरणें खेल रही है जल थल में।
प्रस्तुत उदाहरण में शुरू में च और अंत में ल बार-बार आवृत्ति के रूप में प्रयोग हुआ है इसलिए यहां अनुप्रास अलंकार है।
अनुप्रास अलंकार के दो प्रमुख रूप है-
- आदि अनुप्रास
- अन्त्यानुप्रास
आदि अनुप्रास
आदि अनुप्रास– जब भी अनुप्रास अलंकार किसी भी शब्द के शुरू में लगता है तब उसे आदि अनुप्रास कहते हैं।
जैसे- काम कितना ही कठिन हो लेकिन उकताते नहीं।
प्रस्तुत उदाहरण में त और क की आवृत्ति शुरू में हुई है।
अन्त्यानुप्रास
अन्त्यानुप्रास– जब भी अनुप्रास अलंकार का प्रयोग किसी शब्द के अंत में होता है वहां अन्त्यानुप्रास होता है। ध्यान रखे की अन्त्यानुप्रास
तुकांत शब्द कहलाते हैं।
जैसे- खान पान सम्मान राग रंग मनहिं ना भावै।
प्रस्तुत उदाहरण में स और न शब्द की आवृत्ति अंत में हुई है।
यमक अलंकार
यमक अलंकार– जहां एक शब्द का प्रयोग एक बार से कई अधिक बार होता हैं और हर बार उसका अर्थ अलग अलग होता है।वहां यमक अलंकार होता है।
जैसे- काली घटा का घमंड घटा
नभ मंडल तारक वृंद खिले
प्रस्तुत उदहारण में “घटा” शब्द दो बार आया है लेकिन दोनों बार उसका अर्थ अलग-अलग है –
पहली बार जो घटा शब्द है उसका अर्थ है बादल
दूसरी बार घटा शब्द का अर्थ है कम होना , अर्थात यहाँ पर यमक अलंकर है |
श्लेष अलंकार –
श्लेष अलंकार– जहां एक ही शब्द एक ही बार प्रयोग में आता है लेकिन बहुत सारे अर्थ बताता है वहां श्लेष अलंकार होता है।
जैसे- रहिमन पानी राखिए बिन पानी सब सून, पानी गए न ऊबरे मोती मानुष चून।
प्रस्तुत उदाहरण में पानी शब्द का दो अर्थ है। जैसे- पानी का प्रयोग मोती के लिए, मनुष्य के सम्मान के लिए है।
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अर्थालंकार
अर्थालंकार– जहां अलंकारों के कारण है भाषा के अर्थ में कोई चमत्कार आता है वहां अर्थ अलंकार होता है।
अर्थालंकार के भी तीन भेद हैं-
- उपमा अलंकार
- रूपक अलंकार
- उत्प्रेक्षा अलंकार
उपमा अलंकार
उपमा अलंकार– जब किसी चीज की तुलना किसी दूसरे प्रसिद्ध चीज से उसके गुण, धर्म, स्वरूप इत्यादि के लिए किया जाता है वहां उपमा अलंकार होता है।
- उपमेय- जिस चीज की समानता बताई जाती हैं।
- उपमान- जिस वस्तु से तुलना की जाती है।
- वाचक शब्द- समानता को व्यक्त करने वाले शब्द।
- साधारण धर्म- जो गुण उपमेयर और उपमान में समान रूप से रहता है।
जैसे- 'हरिपद कोमल कमल से'।
रूपक अलंकार
रूपक अलंकार– जहां अपने में उपमान का भेद ना होकर आरोपित किया जाता है वहां रूपक अलंकार होता है।
जैसे- मुख चंद्र तुम्हारा देख सकखे मन सागर मेरा लहराता।
उत्प्रेक्षा अलंकार
उत्प्रेक्षा अलंकार- जहां एक ही गुणों के आधार पर उपमेय में उपमान की संभावना की जाती है वहां उत्प्रेक्षा अलंकार होता है।
संभावनाओं को व्यक्त करने के लिए मनु जनु आदि शब्दों का प्रयोग किया जाता है।
जैसे- धाए धाम काम सब त्यागी मनहुं रंक निधि लूटन लागी।।
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Conclusion – Alankar in Hindi
दोस्तों हमने इस आर्टिकल “Alankar in Hindi, Alankar kise kahate hain और Alankar ki paribhasha” में अलंकार के बारे में जाना
हमने कम शब्दों में आपको सब कुछ बताने कि कोशिश कि है , हमे उम्मीद है कि अब आपको अलंकार कि परिभाषा और अलंकार किसे कहते है , ये समझ में आ गया होगा |
अगर आपको कुछ पूछना है तो कमेंट कर के जरुर बताये और इस आर्टिकल को शेयर भी करें
आप सभी ने इस आर्टिकल को पढ़ा, आप सबका धन्यवाद
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