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Judge Kaise Bane – सिविल, हाई, सुप्रीम कोर्ट में जज कैसे बने – जज की सैलरी –

Judge Kaise Bane – दोस्तों आज हम आपको बताएंगे जज कैसे बनें (How to Become a Judge in Hindi)

भारत में न्यायालय के अलग-अलग लेवल होते हैं जैसे डिस्ट्रिक्ट कोर्ट, हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट । इसी तरह कोर्ट के अलग-अलग प्रकार भी होते हैं जैसे ट्रिब्यूनल (ग्रीन ट्रिब्यूनल, Armed Forces Tribunal), लोक अदालत, फास्ट ट्रैक कोर्ट।

इन सब में जजों की नियुक्ति की जाती है। हम ये कह सकते हैं कि कानून व्यवस्था और न्याय का सबसे ऊपरी लेवल जज होता है।

अगर आपको भी इस फील्ड में इंट्रेस्ट है या फिर एक जज के तौर पर करियर बनाना चाहते हैं तो ये आर्टिकल आप जरूर पढ़िए। इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे –

  • Indian Judicial System Hierarchy,
  • जज बनने के लिए क्वालिफिकेशन,
  • Advertisement
  • सिविल जज कैसे बनें,
  • ADJ kaise bane?
  • हाई कोर्ट में जज कैसे बनें,
  • सुप्रीम कोर्ट में जज कैसे बनें?
  • टॉप लॉ कॉलेज इन इंडिया,
  • जज बनने में कितना खर्च आता है?
  • जज में कौन सी स्किल्स होनी चाहिए और जज और मजिस्ट्रेट में क्या अंतर है ?

इससे पहले कि हम आर्टिकल की शुरुआत करें आपके लिए अदालतों के लेवल को समझना जरूरी है क्योंकि इनके आधार पर ही जज की नियुक्ति होती है।

भारत में अदालतों का लेवल (Indian Judicial System Hierarchy, from bottom to top)

  • Civil Court
  • Additional District Court or Sessions Court
  • High Court
  • Supreme Court

इनके आधार पर जज इस तरह से हो सकते हैं

  • Civil Judge or Magistrate
  • Additional District Judge or Sessions Judge
  • High Court Judge
  • Supreme Court Judge

इस तरह जज बनने के लिए आपके पास चार रास्ते हैं।

जज बनने के लिए योग्यता –

दोस्तों जैसे आपने अभी पढ़ा कि जज बनने के चार रास्ते हैं। इनके लिए योग्यता भी अलग-अलग रखी गई है। हम आपको इन सबकी जानकारी डीटेल में देंगे, जज बनने के लिए आपको exam भी देना पड़ सकता है।

इसके अलावा देखा जाए तो मुख्य रूप से इनमें अंतर सिर्फ एज और वर्क एक्सपीरियंस का होता है। जितने ऊपरी लेवल का कोर्ट होगा उतना ज्यादा वर्क एक्सपीरियंस मांगा जाएगा। फिर भी कुछ बेसिक एलिजिबिलिटी होती है जो कि सभी के लिए जरूरी है।

पहले हम इसे जान लेते हैं।

  1. आप किसी मान्यताप्राप्त इंस्टीट्यूट से लॉ ग्रेजुएशन यानि LLB पास कर चुके हों।
  2. आपको बार काउंसिल में रजिस्टर होना चाहिए।
  3. आपको भारत का नागरिक होना चाहिए।
  4. आपका कोई क्रिमिनल रिकार्ड नहीं होना चाहिए।
  5. आपको मानसिक रूप से पूरी तरह स्वस्थ होना चाहिए।

सिविल जज कैसे बनें – Civil Court Judge Kaise Bane ?

Civil Judge बनने के लिए entrance exam देना होता है। ये एग्जाम स्टेट लेवल पर होता है। इसे PCS-J exam कहा जाता है। यहां J का मतलब होता है Judicial Service exam.

  • इसके लिए वकालत का कोई एक्सपीरियंस जरूरी नहीं है। आपके पास बस लॉ की डिग्री होनी चाहिए।
  •  इसमें आयु सीमा 21-35 वर्ष होती है।
  •  आरक्षित वर्ग के उम्मीदवारों को आयु सीमा में छूट दी जाती है।

सिविल जज परीक्षा पैटर्न –

 इस exam में तीन स्टेज होती हैं।

  1. प्रारंभिक परीक्षा (pre),
  2. मुख्य परीक्षा (mains) और
  3. इंटरव्यू।

 Pre exam, objective type का पेपर होता है। इसमें दो भाग होते हैं।

 Paper 1, 150 नंबर का होता है। इसमें जनरल अवेयरनेस के प्रश्न होते हैं।

 अगर आप जनरल कैटेगरी से आते हैं तो आपको कम से कम 40% नंबर लाने होते हैं तभी आप आगे के राउंड के लिए क्वालीफाई करते हैं  आरक्षित वर्ग के लिए 30% नंबर लाने जरूरी हैं।

 पेपर 2, 300 नंबर का होता है। इसमें लॉ से जुड़े प्रश्न होते हैं।

 ये दोनों पेपर दो-दो घंटे के होते हैं। इस एग्जाम में negative marking होती है।

 Mains exam सब्जेक्टिव टाइप का पेपर होता है।

 इसमें 5 पेपर होते हैं जो 200-200 नंबर के होते हैं।

 ये पेपर हैं जनरल अवेयरनेस, लैंग्वेज, substantive law, procedure and evidence और penal, revenue and local laws.

जनरल नॉलेज और लॉ के पेपर आप हिंदी या अंग्रेजी में दे सकते हैं।

दूसरे राउंड को पार कर लेने वाले उम्मीदवारों को इंटरव्यू के लिए बुलाया जाता है। इंटरव्यू 100 नंबर का होता है।

रिटन एग्जाम और इंटरव्यू के नंबर मिलाने के बाद फाइनल मेरिट लिस्ट तैयार की जाती है।

नोट– हर राज्य में एग्जाम का पैटर्न और एज लिमिट थोड़ी-बहुत अलग हो सकती है। आप जिस राज्य से ये एग्जाम देना चाहते हों वहां की नोटिफिकेशन अच्छी तरह पढ़ लें।

Salary and perks –

एक सिविल जज की इन हैंड सैलरी लगभग 60,000 रुपए होती है। ये सैलरी शुरूआती 1-2 सालों के लिए होती है। इसके बाद इसमें बढ़ोत्तरी हो जाती है।

सरकार की तरफ से वेतन के अलावा भी बहुत सी सुविधाएं दी जाती हैं। इसमें घर, गाड़ी, ड्राइवर, बिजली, फोन और डोमेस्टिक हेल्प स्टाफ जैसी सुविधाएं शामिल हैं।

सबसे बड़ी बात ये है कि जज का समाज में बहुत रुतबा होता है। लोग उसे इंसाफ का रखवाला समझते हैं।

Additional District and Sessions Judge (ADJ) kaise bane?

इसे अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश कहा जाता है। अगर आप District या सेशन्स जज बनना चाहते हैं तो इसके लिए higher judiciary exam देना होता है। पर इसके साथ आपको वकालत का 7 साल अनुभव होना भी जरूरी है।

बार काउंसिल ऑफ इंडिया के साथ-साथ जिस शहर में आप प्रेक्टिस करते हैं वहां की बार काउंसिल में भी रजिस्ट्रेशन जरूरी है क्योंकि आपका वर्क एक्सपीरियंस सर्टिफिकेट यहीं से जारी किया जाता है।

जो लोग इंडीपेंडेंट प्रेक्टिस करते हैं उनके लिए कोई परेशानी नहीं है पर जो लोग किसी सीनियर के अंडर प्रेक्टिस करते हैं उनको अपने नाम पर कुछ वकालतनामे रखने चाहिए क्योंकि कुछ स्टेट के लिए ये अनिवार्य होता है।

आपके पास ITR भी होनी चाहिए जिससे ये पता चले कि वकालत आपका सोर्स ऑफ इनकम है। ADJ बनने के लिए आयु सीमा 35-45 साल होती है। ADJ को फास्ट ट्रैक कोर्ट, सीबीआई, NIA जैसे

कोर्ट का स्पेशल जज भी नियुक्त किया जा सकता है। इनको राज्य सरकारों के बड़े कानूनी पद जैसे Registrar of High Courts, Legal Advisor to State Govt भी दिए जा सकते हैं।

Higher judiciary exam क्या है?

ये एग्जाम लगभग PCS J exam की तरह होता है। सिलेबस भी काफी समान होता है। जो अंतर हैं वो हम समझा रहे हैं।

इसके प्री एग्जाम में एक ही पेपर होता है जिसमें जनरल अवेयरनेस और लॉ दोनों एक साथ होते हैं पर ज्यादा हिस्सा लॉ से कवर होता है।

ये पेपर 150 नंबर का होता है लेकिन इसमें 25% माइनस मार्किंग की जाती है। प्री एग्जाम क्वालीफाई करने के लिए जनरल कैटेगरी वालों को 50% और रिजर्व कैटगरी वालों को 45% नंबर लाने होते हैं।

मेन्स एग्जाम में जनरल नॉलेज का एक और लॉ के तीन पेपर होते हैं। (ये जानकारी हाल ही में आए Delhi Higher Judiciary Exam के नोटिफिकेशन पर आधारित है।

कुछ राज्यों में लैंग्वेज का पेपर भी होता है।) ADJ की नेट सैलरी लगभग 1 लाख रुपए होती है। बाकी सारे perks भी मिलते हैं। लगभग 5 साल के बाद ये सैलरी बढ़ जाती है।

नोट– वकालत के 7 वर्ष के अनुभव को अच्छी तरह समझना जरूरी है। क्योंकि बहुत सी सरकारी और प्राइवेट कंपनियों में लॉ ऑफिसर, लीगल ऑफिसर, लीगल एडवाइजर जैसी पोस्ट होती हैं।

आपके मन में सवाल आ सकता है कि क्या इस तरह की पोस्ट पर 7 साल अनुभव होने के बाद आप ADJ के लिए एलिजिबल हो सकते हैं?

इस बारे में नियम ये कहते हैं कि ऐसे लोग जिन्होंने लगातार पूरे सात साल तक किसी अदालत में वकील (एडवोकेट) के तौर पर प्रेक्टिस की हो वो ADJ की पोस्ट के लिए एलिजिबल हैं।

इसकी एक कंडीशन ये भी है कि आपको किसी सरकारी पद पर नहीं होना चाहिए यानि अगर आप ये सोचें कि Civil Judge के पद पर सात साल काम करके और फिर higher judiciary exam एग्जाम देकर आप ADJ बन सकते हैं तो ऐसा नहीं है।

साल 2019 में एक केस में सुप्रीम कोर्ट ने भी यही जजमेंट दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा कि मेरिट या वरीयता (seniority) के आधार पर मजिस्ट्रेट और सिविल जज प्रमोट होकर या लिमिटेड कॉम्पिटीटिव एग्जाम के माध्यम से ADJ बन सकते हैं।

अगर आपको लिमिटेड कॉम्पिटीटिव एग्जाम की और जानकारी चाहिए तो आप हमें कमेंट सेक्शन में बताइए।

High Court में जज कैसे बनें – High Court Judge Kaise Bane ?

इसके लिए आपको भारत के किसी भी राज्य के हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में वकालत करने का कम से कम 10 साल का अनुभव होना चाहिए या फिर आपके पास 10 साल judicial office holding experience होना चाहिए। यानि आपने दस साल कोई judicial post पर काम किया हो।

हाई कोर्ट के जज की नियुक्ति कॉलेजियम सिस्टम से होती है।

कॉलेजियम एक बॉडी है जो हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के जजों के लिए उम्मीदवारों का नाम सरकार को सजेस्ट करती है।

High Court जज की नियुक्ति राष्ट्रपति, राज्यपाल और हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस के मशवरे से होती है। इसके अलावा एक ADJ प्रमोट होकर भी high court में जज बन सकता है।

इसके लिए मिनिमम एज लिमिट नहीं है पर रिटायरमेंट की उम्र 62 वर्ष है।

सैलरी और perks –

हाई कोर्ट के जज की नेट सैलरी लगभग 2,45,000 के आसपास होती है। सिक्योरिटी, गनमैन, exemption from Income Tax in few allowances, exemption in toll tax जैसे एडिशनल बेनिफिट शामिल हैं।

सुप्रीम कोर्ट में जज कैसे बनें – Supreme Court Judge Kaise Bane ?

सुप्रीम कोर्ट के जज की नियुक्ति भी कॉलेजियम सिस्टम से राष्ट्रपति के परामर्श पर होती है।

सुप्रीम कोर्ट के जज की रिटायरमेंट की उम्र 65 वर्ष है। आपको हाई कोर्ट जज के तौर पर कम से कम 5 साल का अनुभव होना चाहिए या भारत के किसी भी हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में वकालत का दस साल का अनुभव होना चाहिए।

इसके अलावा कुछ exceptional केस में ऐसा व्यक्ति जो राष्ट्रपति की नजर में कानून का बेहतरीन जानकार हो या हम कह सकते हैं कि लॉ स्कॉलर हो उसकी नियुक्ति भी की जा सकती है।

सुप्रीम कोर्ट के जज की नेट सैलरी लगभग 3,25,000 रुपए महीना होती है। ऊपर बताए गए सभी एडिशनल बेनिफिट भी मिलते हैं।

नोट– High and Supreme Court Judge बनने के लिए कोई एग्जाम नहीं होता।

टॉप लॉ कॉलेज इन इंडिया

लॉ कॉलेज और यूनिवर्सिटीज में एडमिशन के लिए CLAT exam होता है। ये all India level का exam है।

इसे 16 यूनिवर्सिटीज मिलकर कराती हैं। इसके अलावा बाकी यूनिवर्सिटीज अपने लेवल पर भी entrance एग्जाम लेती हैं।

आगे हमने कुछ टॉप के इंस्टीट्यूट्स के नाम आपको बताए हैं।

  1. AMU
  2. BHU
  3. जामिया मिलिया इस्लामिया
  4. Mumbai University
  5. Delhi University
  6. कर्नाटक स्टेट लॉ यूनिवर्सिटी
  7. नेशनल लॉ इंस्टीट्यूट यूनिवर्सिटी भोपाल
  8. ओस्मानिया यूनिवर्सिटी, हैदराबाद
  9. Indian Law Institute, New Delhi
  10. हिदायतउल्ला नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी, रायपुर
  11. Gujarat Law University
  12. सिम्बायोसिस लॉ स्कूल, पुणे
  13. नेशनल लॉ स्कूल ऑफ इंडिया, बैंगलोर
  14. राजीव गांधी नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ लॉ, पटियाला
  15. राम मनोहर लोहिया नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी, लखनऊ
  16. नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी, कटक
  17. पश्चिम बंगाल नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ज्यूडिशियल साइंस, कोलकाता

जज बनने में कितना खर्च आता है ?

जज बनने में लगभग उतना खर्च ही आता है जितना आपको लॉ की पढ़ाई में लगेगा। ये फीस हर यूनिवर्सिटी में अलग हो सकती है।

फिर भी एक एवरेज लें तो LLB करने का खर्च 15,000 रुपए से तीन लाख सालाना हो सकता है।

सरकारी कॉलेज की फीस प्राइवेट से काफी कम होती है। इसके बाद अगर आप एग्जाम देते हैं तो उसकी फीस और स्टडी मटेरियल का खर्च ही होता है।

ये भी जानें – LLB की फीस कितनी है ?

जज में कौन सी स्किल्स होनी चाहिए?

आप भले ही जज बनने की इच्छा रखते हों पर ये एक ऐसी पोस्ट है जहां आपके अंदर कुछ क्वालिटीज निश्चित तौर पर होनी चाहिए।

  • जज को unbiased होना चाहिए।
  • जज में अच्छी डिसीजन मेकिंग पावर होनी चाहिए।
  • जज को किसी के दबाव या लालच में नहीं आना चाहिए।
  • Good listening skill
  • Reasoning and logical skill

जज और मजिस्ट्रेट में क्या अंतर है?

ये जानकारी रखना बहुत अहम है। क्योंकि अक्सर स्टूडेंट्स इसमें कन्फ्यूज हो जाते हैं।

जज के पास मजिस्ट्रेट से ज्यादा अथॉरिटी और पावर होती है।

एक मजिस्ट्रेट सिर्फ डिस्ट्रिक्ट या सब ऑर्डिनेट कोर्ट में ही बैठता है। मजिस्ट्रेट उम्र कैद या फांसी की सजा नहीं सुना सकता। वो अधिकतम 7 साल की कैद तय कर सकता है।

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Conclusion – Judge Kaise Bane

आज के आर्टिकल में हमने आपको बताया जज कैसे बनें। आपको ये आर्टिकल “Judge Kaise Bane” कैसा लगा हमें कमेंट सेक्शन में बताइए। अगर आप किसी खास टॉपिक पर जानकारी चाहते हैं तो भी बताएं।

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