Mahatma Gandhi Essay in Hindi – अगर आप महात्मा गाँधी के बारे में जानना चाहते है या फिर स्कूल से मिले हुए कार्य को करने के लिए जानकारी चाहते है तो आप बिल्कुल सही आर्टिकल पढ़ रहें है |
इस आर्टिकल में आपको महात्मा गाँधी के बारे में सब कुछ भुत ही आसन शब्दों में बताया गया है जिसे आप आसानी से समझ जाएँगे –
तो चलिए शुरू करते है महात्मा गाँधी की जीवनी से –
महात्मा गाँधी जी की जीवनी :-
महात्मा गाँधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर मे हुआ था।
महात्मा गाँधी के पिता जी का नाम करमचंद गाँधी और माता जी नाम पुतलीबाई है।
महात्मा गाँधी का वास्तविक नाम मोहनदास करमचंद गाँधी है। महात्मा गाँधी तीन भाई थे लेकिन तीनो भाइयो मे से सबसे छोटे महात्मा गाँधी थे।
गांधी जी ने हमेशा सत्य की राह मे चलने वाले एक सज्जन राष्ट्रीय महापुरुष थे, वह सत्य और अहिंसा के खिलाफ आवाज़ उठाने की प्रेरणा उनको उनकी माँ पुतलीबाई से मिली थी और उनके जीवन मे सत्य और आहिसा का गुण कूट -कूट कर भरा हुआ था।
भारत मे रह रहे हर एक व्यक्ति को अहिंसा के प्रति आवाज़ उठाने को प्रेरित करते, जैन धर्म का गांधी जी के जीवन पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ा।
गांधी जी की प्रारंभिक शिक्षा :-
गाँधी जी की प्रारंभिक शिक्षा मिडिल क्लास तक शिक्षा उन्होंने पोरबंदर मे ही ग्रहण किया।
फिर उनके पिता जी का ट्रांसफर पोरबंदर से राजकोट के लिए हो गया गाँधी जी अपनी बाकी की पढ़ाई के लिए अपने पिता जी के साथ राजकोट मे रहने को गये और अधूरी शिक्षा राजकोट से पूरी किये।
वर्ष 1887 मे गाँधी जी राजकोट हाई स्कूल से मैट्रिक की परीक्षा प्रथम श्रेणी मे उत्तीर्ण किये।
गांधी जी ने आगे की पढ़ाई करने के लिए भवनागर के सामलदास विश्वविद्यालय में दाखिला करवाये लेकिन वह घर से दूर रहते थे, जिस कारण से उनका मन पढ़ाई की ओर केंद्रित नहीं कर पाते थे और उनका स्वस्थ भी सही ना होने के कारण वह अपने घर पोरबंदर को लौट आये।
विदेश गये वकालत की पढ़ाई करने :-
गांधी जी अपने परिवार मे सबसे ज्यादा पढ़े लिखें थे, उनके पिता करमचंद गाँधी पोरबंदर मे दीवान थे |
गांधी जी भी अपने पिता जी और चाचा की तरह पढ़ाई -लिखाई करके वकील बनना चाहते थे।
लेकिन उनकी माता जी पुतलीबाई और उनके परिवार के अन्य सदस्य उनके लन्दन जाने से बिल्कुल खुश नहीं थे उन सब ने मिलकर उनको जाने से काफ़ी रोका, लेकिन वह नहीं रुके |
वर्ष 1888 मे वाकलत की पढ़ाई की लिए लंदन पहुँचे, वहां पर विश्वविद्यालय कॉलेज मे क़ानून की पढ़ाई करने के लिए और बैरिस्टर बनने के चक्कर मे वह इंग्लैंड चले गये।
उन्होंने अपनी माता पुतलीबाई को वचन दिया था कि घर से बाहर पढ़ाई के लिए जायेगे तो वह शुद्ध-शाकाहारी भोजन ही करे, अन्य प्रकार के भोजन को वह हाथ तक नहीं लगाएंगे।
शुरू दिनों मे उनको भूखा ही सोना पड़ता था पर धीरे-धीरे उनको शाकाहारी रेस्टोरेंट का पता लगा और वह वहां खाना खाने गये फिर वह वेजीटेरियन सोसाइटी के सदस्यों के साथ कुछ दिन रहे और वहां के लोग उनको गीता पढ़ने को सुझाव देने लगे।
जून 1891 को महात्मा गाँधी लंदन से लौट कर भारत आ गये क्योंकि उनकी माता पुतलीबाई का देहांत हो गया था |
जिसकी वज़ह से वह अपने वकालत की पढ़ाई बीच मे ही छोड़ कर वापस आ गये थे और उनको वकालत की पढ़ाई मे कोई सफलता प्राप्त नहीं हुईं |
उसके बाद गांधी जी राजकोट चले गये, वहां पर कुछ जरूरतमदो लोगो की मदद करने के लिए मुकदमे की आर्जियाँ लिखना शुरू कर दिये और उसके बाद आर्जियाँ लिखने का काम भी छोड़ दिये।
महात्मा गाँधी का वैवाहिक जीवन :-
महात्मा गाँधी मात्र 13 वर्ष की उम्र मे सन 1883 मे उनका विवाह कस्तूरबा गाँधी से कर दिया गया था।
गाँधी जी और कस्तूरबा जी दोनों उम्र मे काफ़ी छोटे और गाँधी जी ने उनका नाम छोटा करके कस्तूरबा रखवा दिया लेकिन उनको प्यार से सभी लोग ‘बा ‘ कह कर पुकारते थे।
कस्तूरबा के पिता जी एक बहुत बड़े व्यवसायी और धनी व्यक्ति थे, लेकिन कस्तूरबा जी पढ़ी -लिखी नहीं थी |
ज़ब उनकी शादी महात्मा गाँधी से हुईं तब उन्होंने उनको देश के प्रति सत्य, अहिंसा का पाठ पढ़ना -लिखाना शुरू किया तब जाकर वह पढ़ाई लिखाई के महत्व को समझने लगी और हर एक आंदोलन मे गाँधी जी का साथ देने लगी और कस्तूरबा गाँधी एक आदर्श पत्नी के रूप मे साबित हुयी।
महात्मा गांधी द्वारा किये गये मुख्य आंदोलन :-
1. चांपरण तथा खेड़ा सत्याग्रह आंदोलन सन 1918 :-
चांपरण तथा खेड़ा मे गरीब किसानो की जमीन पर अंग्रेजो ने कब्ज़ा कर लिया था और गरीबो के प्रति हो रहे शोषण को देख कर गांधी जी से देखा नहीं गया और वह सन 1918 को बच्चो, युवकों के साथ मिल कर किसानो के ऊपर हो रहे शोषण के लिए वह सत्याग्रह आंदोलन शुरू कर दिये थे।
किसानो के हक़ के लिए उन्होंने यह आंदोलन के शुरू किया लेकिन उसी समय गांधी जी को वेबजह गिरफ्तार कर लिया गया और उनको जेल से छोड़वाने के लिए लाखो लोग सड़क मे इक्क्ठा हो गये जिसके कारण ब्रिटिश सरकार को जेल से गांधी जी को बिना किसी शर्त के छोड़ना पड़ा।
गाँधी जी जैसे ही जेल से छूटे गरीब किसानो की ज़मीन वापस दिलवाये और उनके प्रति हो रहे शोषण से उनको मुक्ति दिलाई।
2. गांधी जी खिलाफत आंदोलन सन 1919:-
सन 1919 मे महात्मा गाँधी जी को इस बात का अंदाजा होने लगा था कि कही ना कही हमारा कांग्रेस कमजोर होने लगा है।
ऐसे मे उन्होंने कांग्रेस को बचाने के लिए हिन्दू-मुस्लिम के बीच की एकता से ब्रिटिश सरकार को बाहर निकल कर फेकने के प्रयास जारी रखे
लेकिन उन्होंने मुस्लिम समाज मे शामिल हो कर मुस्लिमो के साथ खड़े हो कर खिलाफत आंदोलन भागीदारी बने और मुस्लिमो की बहुत सहायता किये।
गांधीजी के इन प्रयासों के कारण गांधी जी को राष्ट्रीय नेता बना दिया गया था और उन्होंने सन 1922 को खिलाफत आंदोलन पूरी तरह से बंद करवा दिया था, और गांधीजी अपने सारा जीवन हिंदू धर्म की लड़ाई मे साथ देने में बिता दिया।
3. असहयोग आंदोलन :-
13 अप्रैल 1919 वैशाखी के दिन अमृतसर जालियावाला बाग मे सभी लोग वैशाखी का पर्व मनाने के लिए एकत्रित हुए और उसी समय जनरल डायर ब्रिटिश नाम का एक अधिकारी ने बिना वजह के लाखो लोगो के ऊपर गोलियाँ चला दी जिसकी वज़ह से हज़ारो बेकसूर लोग मारे गये।
जालियावाला बाग हत्याकांड के कारण गाँधी जी को बहुत दुःख हुआ कि निर्दोष लोगो को बिना किसी कारण से मारा गया।
गांधी जी ने ठान लिया कि वह अब सत्य और अहिंसा का रास्ता अपना कर अंग्रेजो से बदला लेंगे और गाँधी जी ने आसहयोग आंदोलन करना शुरू कर दिया और उनके इस आंदोलन मे देश के कई बच्चे, नौजवानों ने बढ़ -चढ़कर हिस्सा लिया था |
4. सविनय अवज्ञा आंदोलन / नमक सत्याग्रह आंदोलन / दांडी यात्रा:-
सन 1930 को गाँधी जी ने अंग्रेजो के खिलाफ जाकर एक और आंदोलन करने की शुरुवात कर दी थी जिसका नाम सविनय अवज्ञा आंदोलन है।
अंग्रेजो के समय में ऐसा कानून था कि कोई भी भारतीय नमक नही बना सकता और उस समय नमक पर टैक्स भी बहुत वसूला जाता था | क्यूंकि नमक हमारे जीवन के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है सी लिए गाँधी जी ने सविनय अवज्ञा आंदोलन की शुरुआत की जिसमे वे अपने साबरमती आश्रम से एनी 78 लोगो के साथ दांडी के लिए पैदल ही निकल गये जिसकी दुरी करीब 385 किलोमीटर थी |
दांडी पहुचने के बाद उन्होंने हाथ में नमक लेकर इस कानून को भंग किया था, ब्रिटिश सरकार द्वारा बनाये गये नियमों को तोड़ने पर गाँधी जी को गिरफ्तार कर लिया गया।
5.भारत छोड़ो आंदोलन :-
8 अगस्त 1942 को गाँधी जी द्वारा मुंबई के गोवालिया टैक मैदान पर गाँधी जी ने लोगो से कहा कि अंग्रेजो को भारत से निकलने के लिए उनके द्वारा सबसे बड़ा आंदोलन भारत छोड़ो आंदोलन मे देश के सभी बच्चे, बूढ़े, नौजवान इसमें शामिल हो |
ताकि हम अपने देश से अंग्रेजो को निकाल सके और अपने देश को आज़ाद करा सकें |
इस आंदोलन के कारण भी गाँधी जी को जेल जाना पड़ा था |
महात्मा गाँधी की मृत्यु :-
नाथूराम गोडसे तथा उनके मित्र गोपालदास ने बिरला हाउस मे 30जनवरी 1948 को शाम को 5 बज कर 17 मिनट गांधी जी को गोली को मार कर उनकी हत्या कर दी थी।
उन्होंने गांधी जी को तीन गोलियां मारी थी, उनके लास्ट गोली मराने पर गांधी जी के मुँह से ‘हे राम ‘ शब्द निकला था। दिल्ली के राजघाट पर ले जाकर उनका अतिम संस्कार किया गया था।
निष्कर्ष – Mahatma Gandhi essay in hindi
दोस्तों हमने आपको इस आर्टिकल में महात्मा गाँधी की जीवनी या फिर आप ऐसा भी कह सकते है कि हमने आपको महात्मा गाँधी पर निबंध के बारे में लिखा है |
इस आर्टिकल “Mahatma Gandhi Essay in Hindi “में हमने आपको पूरी जानकारी दी है , अगर आपके स्कूल में महात्मा गाँधी टॉपिक पर बोलने या लिखने को कहा गया है तो आप इसे अच्छी तरह तैयार कर के लिख या बोल सकते है , क्योंकि हमने सब कुछ बिल्कुल आसन भाषा में लिखने की कोशिश की है |
आपको ये आर्टिकल “mahatma gandhi essay in hindi” कैसा लगा कमेंट कर के जरुर बताइए और हाँ, इस आर्टिकल को अपने दोस्तों के साथ वwhatsapp पर भी जरुर सहरे करें |
आप और भी विषयों के बारे में या फिर अपने करियर के बारे में जानना चाहते है तो हमारे होम पर जाएँ, वहां आपको बहुत सी जानकारी मिलेगी |
ज्यादा जानने के लिए – होम पेज पर जाएँ