इंटर रिलिजियस मैरिज को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती – Inter Religious Marriage in Hindi
इंटर रिलिजियस मैरिज ब्रेकिंग न्यूज़ में क्यों ?
अभी हाल ही में एक याचिकाकर्ता ने एक याचिका दायर करते हुए सुप्रीम कोर्ट में कहा कि स्पेशल मैरिज एक्ट- 1954 अर्थात विशेष विवाह अधिनियम की धारा 6 और 7 को रद्द कर दिया जाए। क्योंकि धारा 6 और साथ अमानवीय तरीकों को बढ़ाता है।
स्पेशल मैरिज एक्ट -1954(एसपीए एक्ट-1954) की धारा छः और सात में क्या वर्णन है ?
विवाह करने वाले कपल का विवाह का रजिस्ट्रेशन करने से पहले धर्म- जाति, रंग- रूप, पिन कोड, पता, जिले का नाम ,और माता- पिता का नाम आदि जानकारी को पब्लिक के सामने प्रकाशित करना।
स्पेशल मैरिज एक्ट -1954(एसपीए एक्ट -19654) की धारा छः और सात को रदद् करने का कारण क्या है ?
याचिकाकर्ता का कहना है कि तीस दिन के समय के दौरान कपल के परिवार के लिए इंटर कास्ट मैरिज या इंटर रिलिजियस मैरिज को हतोत्साहित करने का अवसर प्रदान करती है।
इसका कारण है कि यदि सूचना जैसे कि फला फला व्यक्ति इंटर कास्ट मैरिज या इंटर रिलिजियस मैरिज कर रहा है। इससे
जिले में दंगा का माहौल भी हो सकता है और परिवार वाले कपल का ऑनर किलिंग भी कर सकते हैं।
Inter Religious Marriage Hindi – स्पेशल मैरिज एक्ट -1954(एसपीए एक्ट-1954) क्या है ?
जो व्यक्ति इंटर कास्ट मैरिज और साथ ही साथ इंटर रिलिजियस मैरिज करना चाहता है । वह व्यक्ति स्पेशल मैरिज एक्ट- 1954 के तहत शादी कर सकता है। इसमें किसी धार्मिक रीति रिवाज या परंपरा की आवश्यकता नहीं होती है सिर्फ आवश्यकता होती है विवाह रजिस्ट्रेशन की ।
अर्थात कोई शूद्र लड़का ब्राम्हण की लड़की से शादी कर सकता है और कोई हिंदू लड़का मुसलमान की लड़की शादी कर सकता है
यह कानून इसी को बढ़ावा देता है जो मानवता को ध्यान में रखकर बनाया गया है।
स्पेशल मैरिज एक्ट -1954(एसपीए एक्ट -1954) के तहत शादी करने की प्रोसेस क्या है ?
(1) सबसे पहले जो विवाह के लिए इच्छुक वर या वधू है। उनमें से किसी एक को जिला के विवाह अधिकारी के पास जाकर यह सूचना देनी होती है कि हम शादी करने वाले हैं अपने अपने परिवार वालों के खिलाफ जाकर।
(2) विवाह करने वाले वर या वधू को नोटिस पत्र दिए जाने की तारीख से जिले में तीस दिनों से अधिक समय तक निवास करना अति आवश्यक कि अन्यथा विवाह नही होगा ।
क्योंकि इसका कारण है कि वर या वधू के विषय में जो जानकारी ली गई है वह जानकारी झूठी नहीं है ।यदि झूठी जानकारी रहेगी तो उसकी जांच की जाएगी ।यदि जानकारी सही रहेगी तो शादी कराई जाएगी।
(3) विवाह के लिए दी गई सूचना को जैसे नाम ,पता, फोन नंबर,उम्र, धर्म और जाति आदि जानकारी को विवाह अधिकारी बकायदे से विवाह सूचना रजिस्टर में दर्ज करता है।
(4) जो सूचना कलेक्ट की गई है उस सूचना की जेरोक्स कॉपी को विवाह अधिकारी अपने कार्यालय मैं ऐसे स्थान पर लगवाता है, जहां सब की नजर पड़ सके और आसानी से देख सके।
(5) विवाह अधिकारी द्वारा वर या वधू या दोनों की जानकारी को कलेक्ट कर के पब्लिक के सामने निम्नलिखित सूचना प्रकाशित करती है।
- शादी करने वाले जोड़े का नाम
- शादी करने वाले जोड़े का डेट ऑफ बर्थ
- शादी करने वाले जोड़े की आयु
- शादी करने जोड़े का व्यवसाय क्या है ? वह क्या काम करते हैं
- शादी करने वाले जोड़े के माता – पिता का नाम और उनका प्रोफेसन
- शादी करने वाले जोड़े का पता क्या है ? अर्थात वे कहाँ रहते है उनका निवास स्थान कहाँ है।
- शादी करने वाले जोड़े का डाकघर का पता अर्थात पिन कोड
- शादी करने वाले जोड़े का कांटेक्ट नंबर
(6) स्पेशल मैरिज एक्ट 1954 के तहत प्रदान की गई जानकारी पर कोई भीव्यक्ति आपत्ति उठा सकता है। यदि 30 दिनों की समय के अंदर कोई भी आपत्ति नहीं उठाता है तो शादी करा दी जाएगी।
(7) यदि कोई व्यक्ति शादी पर आपत्ति करता है तो विवाह अधिकारी दी गई सूचना की जांच करेगा अर्थात विवाह अधिकारी यह जानने की चेष्टा करेगा कि वर -वधु ने हमें जो जानकारी दी थी कि वह क्या पुख्ता जानकारी है, या झूठी जानकारी है। जांचने परखने के बाद तब विवाह के संबंध में निर्णय लिया जाएगा।
विशेष विवाह अधिनियम-1954 का पर्पज क्या है ?
(1) इंटर कास्ट मैरिज को बढ़ावा देना अर्थात शुद्र, ब्राम्हण ,क्षत्रिय और वैश्य ये चारों अपने बेटे -बेटी की शादी एक दूसरे के यहाँ करे।
(2) इंटर रिलिजियस मैरिज को बढ़ावा देना अर्थात हिंदू, मुस्लिम ,सिक्खऔर ईसाई और साथ ही साथ पारसी ये सब एक दूसरे के यहां अपने बेटे और बेटी की शादी करें
(3) धर्म के आडंबर को खत्म करना।
(4) सभी धर्मों और जातियों में रोटी और बेटी का संबंध स्थापित करना।
स्पेशल मैरिज एक्ट-1954(एसपीए एक्ट -1954) और मूल अधिकार के अनुच्छेद -14 और 21 के बीच सम्बन्ध :
(1) अनुच्छेद 14 हमें विधि के समक्ष समता और विधियों का समान संरक्षण देता है अर्थात कानून के सामने सब बराबर है कानून धर्म लिंग व जाति के आधार पर भेदभाव नहीं करती है इसीलिए स्पेशल मैरिज एक्ट 1954 को प्रोत्साहन प्रदान करता है ।
(2) अनुच्छेद 21 जो जीवन का अधिकार है ।यह हमें अपने जीवनसाथी चुनने का अधिकार देता है। सन 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने पुत्तास्वामी वाद में कहा था कि निजता का अधिकार व्यक्ति का जीवन का अधिकार है। अर्थात व्यक्ति क्या खाए? किससे शादी करें ?कहां घूमें? यह सब उसकी निजता है ।
इसमें किसी भी धर्म और जाति के लोग प्रतिबंध नहीं लगा सकते यह भी स्पेशल मैरिज एक्ट 1954 को प्रोत्साहन प्रदान करता है।
Inter Religious Marriage Hindi – ये जानकारी सिर्फ एजुकेशन पर्पस के लिए दी गयी है क्यूंकि कभी-कभी इससे प्रश्न आते है –
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